लोकसभा ने बुधवार को मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान और चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी।
निचले सदन में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया।
इस विधेयक को भारतीय जनता पार्टी के सदस्य राजेंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया था। समिति ने विधेयक पर विभिन्न हितधारकों से सुझाव लिए और विचार-विमर्श किया था।
विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा की दिया कुमारी ने कहा कि इसमें वन सफारी और इको-टूरिज्म से जुड़े प्रावधान शामिल किये गये हैं जो सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाते हैं।
सदन में संक्षिप्त चर्चा में वाईएसआर कांग्रेस के बी चंद्रशेखर, भाजपा के राजू बिस्ता और शिवसेना की भावना गवली ने भी भाग लिया।
आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने सदन में उक्त विधेयक पर चर्चा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, ऐसे में किसी नीतिगत विषय से जुड़े विधेयक को तब तक सदन में नहीं लाया जा सकता, जब तक अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाए।
इस पर पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष 10 दिन के अंदर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कोई भी तारीख तय कर सकते हैं जिसका अर्थ है कि तब तक अन्य विषयों पर विचार करने की गुंजाइश है।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पर्यावरण के संबंध में भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तीन लक्ष्य हैं जिनमें से दो को तय समय से नौ साल पहले प्राप्त कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि तीसरा लक्ष्य देश में ‘कार्बन सिंक’ को 2030 तक, अतिरिक्त वन क्षेत्र में वृद्धि करके ढाई अरब टन से बढ़ाकर तीन अरब टन करने का है और इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है।
पर्यावरण में जितना कार्बन उत्सर्जित किया जाता है उससे अधिक कार्बन अवशोषित करना ‘कार्बन सिंक’ कहलाता है।
मंत्री ने कहा कि संसद की संयुक्त समिति ने देश के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जाकर बड़ी संख्या में लोगों से बात की और विभिन्न हितधारकों के सुझाव के आधार पर विधेयक के अंतिम मसौदे को तैयार किया गया।
यादव ने कहा कि सरकार चाहती थी कि विधेयक की भाषा आम जनता की भाषा के नजदीक हो, इसलिए इसके नाम में से ‘फॉरेस्ट’ शब्द हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक निजी भूमि पर वनीकरण की सरकार की मंशा को बढ़ावा देगा।
यादव ने कहा कि इसके लागू होने के बाद सरकार छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों के विकास के लिए काम कर सकेगी।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी।
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