मार्शेल आइलैंड, तुवालु, समोआ, किरिबाती, नाओरू जैसे द्वीपीय देश जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री जल स्तर बढ़ने से अपने क्षेत्रों के डूबने और बाढ़ से लोगों के विस्थापन के खतरे का सामना कर रहे हैं । इन देशों के शीर्ष नेता लम्बे समय से जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान वृद्धि के दुष्प्रभावों से निपटने के लिये सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वाह करने की अपील कर रहे हैं ।
तुवालू के शीर्ष प्राधिकारीआएकोवा तायिया इतालेली ने कहा, ‘‘पर्यावरण संरक्षण आज सबसे बड़ी चुनौती है । जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान वृद्धि ने अस्तित्व पर खतरे के संकेत दे दिये हैं । ऐसे में दुनिया के देशों को इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिये सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा ।’’
उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि हम अपने भविष्य के साथ साथ आने वाली पीढ़ी के भविष्य की रक्षा कैसे कर सकते हैं । संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण समस्या लगातार बढ़ रही है । हमें यह भी देखना होगा कि अगले सौ वर्षो में इस पृथ्वी पर करीब 5 से 7 अरब लोग और जुड़ जायेंगे और तब इस पृथ्वी को रहने योग्य कैसे बनाये रखा जा सकता है ।
प्रशांत महासागरीय देश तुवालू संयुक्त राष्ट्र का 189 वां सदस्य हैं । तुवालू को समुद्री जलस्तर के बढ़ने और चक्रवात के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पैसेफिक क्लाइमेट चेंज प्रोग्राम के अध्ययन के मुताबिक, 1993 के बाद से तुवालू के पास समुद्र का जलस्तर सालाना पांच मिलीमीटर बढ़ रहा है जिससे आने वाले वर्षों में तुवालू के कुछ तटीय इलाकों के डूब जाने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र विकास कोष ने तुवालू, समोआ जैसे देशों के साथ मिलकर इन समस्याओं से निपटने के लिये तटीय परियोजना शुरू की है ।
दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित समोआ ने भी जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान वृद्धि को दुनिया के समक्ष बड़ी चुनौती बताया है और इससे निपटने के लिये साझी जिम्मेदारी का निर्वाह करने की अपील की है ।
समोआ के हेड ऑफ स्टेट तुइमालिया लिफेनो वालेतोआ सुआलाउवी द्वितीय ने कहा कि समोआ भी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की वजह से कई समस्याओं का सामना कर रहा है।उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, बर्फ का पिघलना, तापमान में वृद्धि जैसी समस्याओं का हल हमें निकालना होगा । कार्बन उत्सर्जन एवं प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये हमें बड़े कदम उठाने होंगे । दुनिया के देशों को सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा ।
नोओरू के राष्ट्रपति बॉरोन दिवावेसी वाका ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा आज बड़ी चुनौती है । उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामूहिक प्रतिक्रिया के जरिये सामना करने की जरूरत है ।’’
किरिबाती के सामाजिक कार्यकर्ता जेनोटा टांग ने जलवायु परिवर्तन को बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि उनके देश के लोगों ने दुनिया के नाम संदेश दिया है । संदेश में कहा गया है कि ''लोगों को वे सभी काम बंद करने होंगे जिससे हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है। उनके विकास के नाम पर हमारा जीवन तबाह हो रहा है और हमारे बारे में कोई नहीं सोच रहा है। "किरिबाती की पहचान प्रवाल द्वीपों, ताड़ के पेड़ों, मूंगे की चट्टानों और सामान्य जीवनशैली वाले देश की है। टांग ने कहा कि हमें गंभीर बाढ़ का सामना करना पड़ता है और यह वास्तविकता है । कई जगह समुद्र का पानी तालाब के साफ पानी में मिल गया जिससे फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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