बिहार में मूलत: मानसूनी बारिश होती है । राज्य में जून मध्य से सितंबर तक लगभग 1000 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन बारिश के इस पानी के संचयन की व्यवस्था नहीं होने के करण भारी मात्रा में पानी बर्बाद हो जाता है या उपयोग में नहीं आ पाता। दूसरी तरफ गर्मी का सीजन आते ही बिहार के ग्रामीण इलाकों में जल संकट बढ़ जाता था। पिछले साल ही बिहार के एक दर्जन से ज्यादा जिलों के दर्जनों गांव सूखे की चपेट में आ गए थे। लेकिन अब स्थिति बदल रही है।
अब बिहार सरकार ने वर्षा जल के संचयन की व्यवस्था कर ली है। इससे बारिश का पानी यहां-वहां बर्बाद नहीं होगा बल्कि इसका इस्तेमाल भूगर्भ जल को रिचार्ज करने में किया जाएगा। जल-जीवन-हरियाली मिशन के अंतर्गत बिहार सरकार ने पूरे राज्य के 33 हजार 712 सरकारी भवनों को चिन्हित किया था, जिनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित किया जाना था। इनमें से लगभग 13 हजार 600 भवनों पर ये सिस्टम तैयार कर लिया है।
ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जितने भवनों पर ये सिस्टम विकसित किया गया है, उनसे होकर करीब 3.25 करोड़ वर्गफुट बारिश का पानी भूगर्भ में जाकर भूगर्भ जल को रिचार्ज करेगा।
एक अधिकारी ने कहा, “जिन सरकारी भवनों का चयन इसके लिए किया गया था, वे शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी विकास विभाग, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग, आपदा प्रबंधऩ विभाग व अन्य विभागों के हैं। हमने जितने भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम विकसित करने का लक्ष्य रखा था, इसका 40 प्रतिशत से ज्यादा पूरा कर लिया है और इस साल ही बाकी चयनित भवनों पर भी ये सिस्टम लग जाएगा।”
गौरतलब हो कि बिहार में मॉनसून के सीजन में हाल के समय में सामान्य ज्यादा बारिश हो रही है। हालांकि कुछ साल पहले तक मॉनसून की बारिश सामान्य से कम हुआ करती थी। पिछले साल मॉनसून की बारिश सामान्य से काफी अधिक हुई थी और इस साल मॉनसून के आए अभी तीन हफ्ते भी नहीं हुए हैं, लेकिन मॉनसून की औसत बारिश का 40 प्रतिशत हिस्सा अभी बरस चुका है। इसका मतलब है कि अगले तीन महीनों में और ज्यादा बारिश होगी।
वर्षा जल संचयन के लिए बिहार सरकार सरकारी भवनों पर तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित कर ही रही है।
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