उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िला जेल में बंद एक कैदी शबनम आज़ाद भारत में फांसी की सज़ा पाने वाली पहली महिला हो सकती है । उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और देश के राष्ट्रपति दोनों ने ही उसकी दया याचिका खारिज कर दी है । अब जेल प्रशासन ने फांसी की तैयारियां शुरू कर दी हैं ।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रामपुर ज़िला जेल के जेलर राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि “उसकी दया याचिका खारिज कर दी है । हमने अमरोहा जिला प्रशासन से उसके डेथ वॉरंट के लिए बात की है. वॉरंट मिलते ही उसे मथुरा जिला जेल भेजा जाएगा, क्योंकि औरतों को फांसी देने की व्यवस्था वहीं पर है.”
खबरों के अनुसार, अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली शबनम डबल एमए है. उसने इंग्लिश और भूगोल में मास्टर्स किया है । पढ़ाई पूरी होने के बाद शबनम गांव के ही प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने जाती थी । शबनम के घर में ही लकड़ी की कटाई का एक वर्कशॉप था । वहां काम करने वाले सलीम को शबनम पसंद करने लगी. सलीम ने मिडिल स्कूल भी पूरा नहीं किया था । ऐसे में शबनम के घरवालों को उनका रिश्ता मंज़ूर नहीं था. परिवार वाले जब नहीं माने तो सलीम और शबनम ने सबको खत्म करने का प्लान बनाया ।
शबनम के परिवार में उसके माता-पिता, दो भाई, भाभियां और 10 महीने का एक भतीजा था. 14 अप्रैल, 2008 को शबनम ने दूध में नशे की गोलियां मिलाकर उन्हें पिला दिया. ।बेहोश होने के बाद सलीम ने कुल्हाड़ी से काटकर सबको मार दिया. ।वहीं शबनम ने अपने भतीजे की गला घोंटकर हत्या कर दी ।
शुरूआत में शबनम ने कहानी बनाई कि कुछ अनजान लोगों ने घर में लूटपाट की और सबको मार डाला. हालांकि, कड़ाई से पूछताछ में उसने और सलीम ने अपना गुनाह कुबूल लिया ।
इस मामले में साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को सज़ा-ए-मौत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा ।
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