बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने आखिरकार भाजपा नीत राजग के साथ आ गए । हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा राजग का हिस्सा बन रहा है । मांझी का राजग के साथ आने का फैसला ऐसे समय में आया है जब जदयू और राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा के साथ तल्खी देखी जा रहा है। चिराग पासवान पिछले कुछ समय से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति मुखर रहे हैं ।
नीतीश कुमार से मांझी की मुलाकात के बाद ही तय माना जा रहा था कि वे एक बार फिर राजग का हिस्सा होंगे, लेकिन राजग में शामिल होने को लेकर असमंजस दिख रहा था । यही कारण रहा कि मांझी की दो बार प्रेस कांन्फ्रेंस टल गयी । माना यह जा रहा था कि सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। हांलाकि अब उनकी पार्टी ने कहा है कि सीट कोई मुद्दा नहीं है वे एनडीए के साथ जांएंगे. हम के प्रवक्ता दानिश ने कहा कि हम एनडीए के हाथ विकास के लिए थामने जा रहे हैं ऐसे में हमारे लिए सीट शेयरिंग कोई मुद्दा नहीं है.
जो जानकारी मिली थी उसके मुताबिक मांझी और जदयू के बीच एमएलसी की एक सीट को लेकर पेंच फंसा हुआ है. हालांकि इस बात के शुरू से ही कयास लगाये जा रहे थे कि सीट शेयरिंग को सुलझा कर मांझी फिर से अपने पुराने घर में वापस लौटेंगे ।
जाहिर है इस फैसले की वजह यह भी है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद मांझी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था । चुनाव नजदीक है और उन्हें जल्दी कोई फैसला लेना था, ऐसे में राजग में शामिल होने का उनका फैसला अंतिम विकल्प था ।
जीतन राम मांझी के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी बिहार में जेडीयू कोटे की करीब एक दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार देगी, जिसमें अधिकतर सीटें मगध क्षेत्र का हिस्सा होंगी. मांझी फिलहाल अपनी पार्टी के इकलौते विधायक हैं ।
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