केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि वैज्ञानिकों की प्रतिभा और ज्ञान मानवता के लिए है और इसका इस्तेमाल प्रकाश स्तम्भ की तरह ज्ञान की रौशनी फैलाने के लिए किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज मुझे चार दिन के छठे भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के तीसरे दिन युवा वैज्ञानिकों की गतिविधियों को देखकर, उनसे विचार-विमर्श कर और उनके सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रसन्नता हो रही है।
डा. हर्षवर्द्धन ने कहा कि इस कार्यक्रम में 45 वर्ष से कम आयु के 2000 युवा वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं, जो विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान विकास संगठनों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, आईआईटी, एनआईटी और उद्योग जगत से आए हैं और वे अति-उन्नत अनुसंधान पर चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर संतोष और प्रसन्नता हुई कि वैज्ञानिकों की गतिविधियों में आत्म निर्भर भारत, वर्तमान महामारी के संकट और इसकी चुनौतियों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि पर ध्यान केन्द्रित किया गया। वैज्ञानिकों की भूमिका के महत्व को समझने से न केवल देश सशक्त बनेगा, अपितु जनता का कल्याण होगा और मानवता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सॉल्यूशन सामने आएंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि युवा वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों से प्रेरित होंगे।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि युवा और उदीयमान वैज्ञानिकों को लीक से हटकर सोचना होगा, ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से सामान्यजनों की समस्याओं को हल किया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अपेक्षा करता हूं कि युवा वैज्ञानिक राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मैं जब युवा वैज्ञानिकों की प्रतिभा, मेहनत और प्रतिबद्धता को देखता हूं तो लगता है कि इनके करियर को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं और विश्वविद्यालयों में प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों को आकर्षित करने के लिए उनके लिए अलग से विज्ञान कॉडर शुरू किए जाने पर विचार किया जा सकता है। ’’
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