सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मोदी उपनाम टिप्पणी पर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी। ऐसे में राहुल गांधी की संसद सदस्य के रूप में बहाली का रास्ता साफ हो गया।
इस मामले की सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिकतम सजा देने के लिए ट्रायल जज द्वारा कोई कारण नहीं दिया गया है, दोषसिद्धि के आदेश पर अंतिम फैसला आने तक रोक लगाने की जरूरत है।
गुजरात के सूरत की एक अदालत द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर मोदी उपनाम टिप्पणी मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस नेता को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अप्रैल में कर्नाटक के कोलार में एक रैली में कथित तौर पर पूछा कि सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे है? हालांकि राहुल गांधी को एक मामले में राहत मिल गई है, लेकिन उन्हें अभी भी पिछले कुछ वर्षों में देश भर में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्यों द्वारा दायर कम से कम एक दर्जन मानहानि के मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा, झारखंड में मोदी सरनेम टिप्पणी पर एक और मानहानि का मामला चल रहा है।
राहुल गांधी ने कहा कि आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत होती है। मुझे अपना लक्ष्य पता है, मैं जनता हूं कि मुझे क्या करना है।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने हमारी मदद की, जनता ने जो प्यार और समर्थन दिया,उसके लिए सभी को धन्यवाद।
इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘लोकतंत्र की जीत हुई है, संविधान की जीत हुई है। ये सिर्फ राहुल गांधी जी की नहीं, भारत की जनता की जीत है। ’’
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जी सच्चाई और देशहित के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा चलकर सभी वर्ग के लोगों से मिले हैं, उन सबकी दुआएं हमारे साथ हैं।
खरगे ने कहा कि उनको डिसक्वालीफाई करने में सिर्फ 24 घंटे लगाए गए थे, अब देखना है कि उन्हें रीइन्स्टेट कब करते हैं। यह लोगों की जीत है, वोटरों की जीत है।
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