स्वदेशी विमानवाहक पोत 'विक्रांत' पहली सफल समुद्री यात्रा के बाद लौट आया है। इसकी2022 तक समंदर में तैनाती संभव है। इसका नाम पुराने INS विक्रांत के नाम पर ही रखा गया है । 1971 की जीत में INS विक्रांत ने अहम भूमिका निभाई थी.
साल 1971 में आईएनएस विक्रांत ने 1971 की जंग में कमाल दिखाया था और बंगाल की खाड़ी से पाकिस्तानियों पर कहर बरपाया था । जिसकी मौजूदगी ने पूर्वी पाकिस्तान की जंगी शिकस्त की कहानी लिखी थी ।
रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, स्वदेशी विमान वाहक पोत (आईएसी) 'विक्रांत' ने आज अपनी पहली समुद्री यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की जिसके लिए वह दिनांक 4 अगस्त 2021 को कोच्चि से रवाना हुआ था। समुद्र में इसके परीक्षण योजना के अनुसार आगे बढ़े और सिस्टम पैरामीटर संतोषजनक साबित हुए। भारतीय नौसेना को पोत सौंपने से पहले सभी उपकरणों और प्रणालियों की योग्यता साबित करने के लिए पोत श्रृंखलाबद्ध ढंग से समुद्री परीक्षणों से गुजरना जारी रखेगा।
भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा डिजाइन किया गया स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) 'विक्रांत' पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओएस) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में बनाया जा रहा है। 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ "आत्मनिर्भर भारत"और भारतीय नौसेना की "मेक इन इंडिया"पहल के लिए देश की खोज के रूप में स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) एक प्रमुख उदाहरण है ।
स्वदेशी विमानवाहक पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें सुपर स्ट्रक्चर भी शामिल है। सुपर स्ट्रक्चर में पांच डेक सहित पोत में कुल 14 डेक हैं। जहाज में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट हैं, जो लगभग 1700 लोगों के क्रू के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिसमें महिला अधिकारियों के लिए लैंगिंग दृष्टिकोण से संवेदनशील आवास स्थान हैं। जहाज को मशीनरी संचालन, नेविगेशन और कठिन हालात में स्वयं को बनाए रखने के दृष्टिकोण से बहुत उच्च स्तर के ऑटोमेशन के साथ डिजाइन किया गया है।
पोत को 2022 में अपनी डिलीवरी से पहले सभी उपकरणों और प्रणालियों को साबित करने के लिए समुद्री परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना होगा।
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