स्वेज नहर में लगभग एक सप्ताह तक फंसे रहने के बाद विशालकाय मालवाहक पोत ‘एवर गिवेन’ बाहर निकल गया है । इसके बाद वहां विशेषज्ञों का दल पहुंचा है और वे पोत के धंसने के कारणों की जांच कर रहे हैं।
सोमवार को पोत को निकालने के बाद उसे नहर के उत्तरी और दक्षिणी सिरे के बीच स्थित ‘ग्रेट बिटर लेक’ पर लंगर डाल कर खड़ा था।
मीडिया की खबरों के अनुसार, नहर के एक वरिष्ठ पायलट ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि विशेषज्ञ संभावित क्षति का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और पोत के धंसने का कारणों का पता लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इंजीनियर पोत के इंजनों का मुआयना कर रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि वह नीदरलैंड स्थित अपने गंतव्य के लिए कब रवाना हो सकता है।
हाल ही में स्वेज नहर में विशालकाय कार्गो शिप के फंस जाने से जाम लग गया था। इस जाम का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ रहा था और पेट्रोल, डीजल के दाम भी प्रभावित हुए थे ।
स्वेज नहर में चीन से माल लेकर जा रहे एक विशालकाय कंटेनर शिप एवर गिवेन के फंस जाने से भीषण ट्रैफिक जाम लग गया था। बताया जा रहा है कि इस कंटेनर जहाज पर पनामा का झंडा लगा हुआ था। 193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। उल्लेखनीय है कि पनामा में भी ऐसी ही एक नहर बनाई गई है, जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है।
स्वेज पोर्ट के उत्तर में नहर को पार करने के दौरान कंट्रोल खोने फंसे जहाज को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर टग बोट्स (जहाजों को धक्का देने वाली ताकतवर नाव) को लगाया गया था ।
इसके कारण पेट्रोल-डीजल के दाम बढने की आशंका इसलिये व्यक्त की जा रही थी क्योंकि यूरोप को एशिया से जोड़ने वाली स्वेज नहर के रास्ते तकरीबन दस प्रतिशत कच्चे तेल का व्यापार होता है।
भारत में टर्की, रूस और लीबिया से कच्चे तेल स्वेज नहर के रास्ते ही आते हैं। मंगलवार को नहर के जाम की खबर फैलते ही कच्चे तेल के दाम बढ़ गए। भारत में इसकी कीमतों में पांच प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। आने वाले दिनों में पेट्रोल पंपों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। आपको बता दें की भारत स्वेज नहर के रास्ते से पांच लाख बैरल तेल विभिन्न देशों से मंगवाता है।
हवा के बवंडर ने कंटेरन जहाज को घुमा दिया। इसे सीधा करने और वहां से निकालने में कई दिन लग सकते हैं। कंटेनर जहाज फंस जाने से नहर में 100 से ज्यादा शिप फंसे हुए हैं, जो कि नहर के खुलने का इंतजार कर रहे हैं। शिप को निकालने की कोशिश की जा रही है। यह कंटेनर जहाज 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा है, जो कि चीन से सामन लेकर निकला था।
इजिप्ट का यह स्वेज नहर मानव निर्मित नहर है, जो कि एशिया और यूरोप को जोड़ती है। स्वेज नहर की लंबाई 193.3 किलोमीटर है। दुनिया का 12 फीसदी व्यापार और 10 फीसदी कच्चे तेल का व्यापार स्वेज नहर से होता है।
स्वेज नहर पर 1956 तक ब्रिटेन का अधिकार था। भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। पिछले साल 19,000 हजार जहाज स्वेज नहर के रास्ते से गुजरे थे। यह युरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा रास्ता है। इस रास्ते से होकर रोजाना 51 जहाज गुजरते हैं। अगर इसे जल्दी नहीं खोला गया तो जहाजों को करीब 9000 किमी की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ेगी।
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