भारत की तीनों सेनाएं (जल, थल, नभ) रूस में मास्को के रेड स्क्वायर एक साथ परेड करती हुई नजर आएंगी । यह पहला मौका होगा जब तीनों सेनाएं मास्को के रेड स्क्वायर पर परेड करेंगी । यह समारोह 24 जून को इतिहास में दर्ज होने जा रहा है । भारत और रूस के बीच आजादी के बाद से ही पुराना और प्रगाढ़ संबंध रहा है । शीत युद्ध के समय में जब दुनिया दो ध्रुवों में बंटी थी तब भारत और रूस का संबंध तेजी से मजबूत हुआ और आज जब भारत को अमेरिका के करीब माना जा रहा है तब भी रूस के साथ देश के संबंध में कोई कमी नहीं आई ।
बहरहाल, इस परेड में इस तरह से भारत के हिस्सा लेने के कारण चीन की चिंताएं बढ़ सकती है। हाल के वर्षो में रूस के साथ चीन के सैन्य संबंध आगे बढ़े हैं ।
इससे पहले भारतीय थलसेना की टुकड़ी ने वर्ष 2015 में परेड में भाग लिया था । परेड के लिए रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता भेजा है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में कोरोना वायरस महामारी के चलते भाग लेने के लिए रूस नहीं जा पाएंगे । गौरतलब है कि यह साल नाजियों पर विजय की 75वीं वर्षगांठ है और यह जर्मनी के आत्मसमर्पण के जश्न के रूप में मनाया जाता है ।
कोरोना वायरस के चलते परेड की तारीख बदली गई थी । रूस हर साल विक्टरी डे परेड का आयोजन करता है. इसका आयोजन हर साल नौ मई को होता है लेकिन इस साल यह कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते टल गई है और यह अब 24 जून को होना तय हुई है.
1945 से हो रहा है इस परेड का आयोजन ।
इस परेड का आयोजन 1945 से होता चला आ रहा है. दरअसल हिटलर की नाजी सेना ने रूस की लाल सेना के आगे आत्मसमर्पण कर दिया था. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को पिछले साल ही इस जश्न में शामिल होने का न्योता दिया था. पुतिन और पीएम मोदी की मुलाकात व्लादिवोस्तोक में हुई थी. इस परेड में शामिल होने के लिए तीनों सेनाओं के करीब 75—80 जवान 19 जून को मास्को विशेष विमान से पहुंच जाएंगे ।
ताइवान को लेकर क्या अमेरिका और चीन युद्ध की तरफ आगे बढ़ रहे हैं ?
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