नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपनी ही नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी से निकाल दिया गया है। ओली के विरोधी खेमे की अगुवाई कर रहे पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड गुट ने पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर यह कार्रवाई की है।
नेपाली मीडिया ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ के हवाले से इसकी पुष्टि की जिसमें उन्होंने कहा कि पीएम ओली की सदस्यता रद्द कर दी गई है। यह फैसला पीएम ओली और उनके समर्थकों की गैरमौजूदगी में हुआ है।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के इस बैठक में ओली गुट के नेता शामिल नहीं हुए थे और ऐसी स्थिति में प्रचंड समर्थक नेताओं के इस फैसले को पीएम ओली मानने से इनकार कर सकते हैं।
पार्टी में विरोधी धड़े का नेतृत्व कर रहे पुष्प कमल दहल प्रचंड पिछले कई महीने से ओली के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में पहले से ही आशंका जताई जा रही थी कि राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी कभी न कभी दो धड़ों में जरूर बंटेगी।
गौरतलब है कि साल 2018 में प्रचंड की पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट) और ओली के धड़े वाली पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सिस्ट) नामक दोनों दलों ने आपस में विलय कर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी या कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल का गठन किया था।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को उनकी ही पार्टी से निकाले जाने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां फिर बढ़ गई हैं। 68 साल के ओली के राजनीतिक भविष्य पर भी अब सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
लोगों का मानना है कि सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर निकाले जाने के बाद अब ओली की राजनीतिक भविष्य ही खतरे में पड़ गया है। लेकिन, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएम ओली भी इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं है।
इस समय नेपाल की संसद को भंग किया जा चुका है। जिसके कारण ओली कार्यवाहक प्रधानमंत्री का दायित्व निभा रहे हैं। ऐसे में पार्टी से बाहर होने का भी कोई ज्यादा असर नहीं होगा।
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