अफगानिस्तान में भीषण भूकंप से मची तबाही के बीच भारत ने इस मुश्किल घड़ी में अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए राहत सहायता पहुंचाना जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की ।
विदेश मंत्रालय के शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार, अफगानिस्तान में 22 जून को आए शक्तिशाली भूकंप के कारण व्यापक तबाही एवं जानमाल के नुकसान के मद्देनजर भारत सरकार ने सबसे पहले सहायता प्रदान करते हुए दो उड़ानों के जरिये 27 टन आपात राहत सामग्री भेजा है।
मंत्रालय ने कहा कि राहत सहायता में परिवार के उपयोग संबंधी टेंट, सोने के लिये उपयोग में आने वाला बैग, कंबल, चटाई सहित अन्य आवश्यक सामग्री शामिल है।
बयान के अनुसार, राहत सामग्री की खेप काबुल में मानवीय मामनों संबंध संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओसीएचए) और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी (एआरसीएस) को सौंपा जायेगा ।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है जिनके साथ हमारे सदियों पुराने संबंध हैं तथा वहां के लोगों को तत्काल राहत सहायता पहुंचाने को प्रतिबद्ध है।
अफगानिस्तान में भीषण भूकंप में करीब 1000 लोग मारे गए हैं और हजारों मकान तबाह हुए हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषद की एक बैठक में कहा, ‘‘ मैं पीड़ितों तथा उनके परिवारों और अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप से प्रभावित हरेक इंसान के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। भारत, अफगानिस्तान के लोगों के दुख को समझता है और इस मुश्किल घड़ी में सहायता प्रदान करने को तैयार है।’’
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया था, ‘‘ अफगानिस्तान के लोगों के लिए भारत की ओर से भूकंप राहत सहायता की पहली खेप काबुल पहुंच गई है। इसे वहां भारतीय दल को सौंप दिया गया है। अभी और मदद भेजी जाएगी।’’
बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि मंत्रालय ने कहा, ‘‘ मानवीय सहायता की प्रभावी ढंग से आपूर्ति करने एवं अफगानिस्तान के लोगों के साथ जारी सम्पर्को की करीबी निगरानी एवं समन्वय के प्रयासों के मद्देनजर एक भारतीय तकनीकी दल आज काबुल पहुंचा और उसे हमारे दूतावास में तैनात किया गया।’’
गौरतलब है कि भारत के इस कदम को युद्ध प्रभावित रहे अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद वहां अपनी अपनी पूर्ण मौजूदगी की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
मंत्रालय ने कहा था, ‘‘हाल ही में एक भारतीय दल ने अफगानिस्तान को हमारे मानवीय सहायता अभियान की आपूर्ति को देखने के लिये काबुल का दौरा किया था और वहां सत्तारूढ तालिबान के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की थी । इस यात्रा कें दौरान वहां सुरक्षा स्थिति का जायजा भी लिया गया था।’’
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, ‘‘अफगान समाज के साथ हमारे लंबे समय से संबंध तथा मानवीय सहायता सहित विकास साझेदारी हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करना जारी रखेगी।’’
अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में आए भूकंप में 1000 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबरें आई हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा पर गहरा दुख जताया था।
यह आपदा देश पर ऐसे समय में आई है, जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के देश को अपने नियंत्रण में लेने के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान से दूरी बना ली है। इस स्थिति के कारण 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में बचाव अभियान को अंजाम देना काफी मुश्किल भरा होने का अंदेशा है।
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