इजरायल और ईरान की जंग ने एक पड़ाव हासिल किया. इजरायल ने ईरान पर साइबर हमला किया. हमला इतना बड़ा कि ईरान के परमाणु संयंत्र केंद्र में आग लग गई.
बात बस इतनी सी नहीं है कि इजरायल ने हमला किया और परमाणु सेंटर नेस्तानाबूद हो गया. बात है कि दोनों देशों की जंग के इस तरीके पर. जो न तो य़ुद्ध के मैदानों में लड़ी जा रही है, न ही पानी की लहरों और आसमान की ऊंचाई पर. नहीं-नहीं यह जंग अपने विरोधी देश में बीमारियों की खेप भेजकर लड़ी जा रही है. यह जंग लड़ी जा रही है, वन टच, वन क्लिक वाली टेक्नॉलॉजी के सहारे.
यही नहीं इजरायल ने अपने घातक F-35 फाइटर जेट की मदद से ईरान के पर्चिन इलाके में मिसाइल निर्माण स्थल पर धावा बोला और उसे बर्बाद कर दिया।
कुवैती अखबार अल जरीदा की रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना पिछले सप्ताह हुई। अखबार ने बताया कि इजरायल के साइबर हमले से गुरुवार को ईरान के नतांज परमाणु संवर्धन केंद्र में आग लग गई और जोरदार विस्फोट हुआ। यह पूरा केंद्र जमीन के अंदर बनाया गया है।
माना जाता है कि यह मिसाइल उत्पादन केंद्र था। दरअसल, इजरायल का कहना है कि ईरान अपने हथियार और मिसाइलें लगातार उन्नत बना रहा है और वह इसे यहूदियों के विरोधी हिज्बुल्ला को सप्लाइ कर रहा है।
इन दोनों ही हमले की इजरायल ने पुष्टि नहीं की है। इससे पहले ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि ईरान ने अप्रैल महीने में इजरायल के पानी के सप्लाइ को हैक करने की कोशिश की थी। ईरान के इस हमले को इजरायल के साइबर डिफेंस ने असफल कर दिया था। अगर ईरान अपने इस प्रयास में सफल हो जाता तो पानी के अंदर क्लोरीन की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती। पूरे देश में पानी का संकट भी खड़ा हो जाता।
पुरानी है लड़ाई
दोनों देशों के बीच साइबर युद्ध ताजा-तरीन शुरुआत नहीं हैं. बल्कि यह तकरीबन दशक पुराना मामला है. यह अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत ईरान को परमाणु संवर्धन कार्यक्रम से रोकना है. इसकी तस्वीर साल 2012 में अधिक स्पष्ट होती है, जब एक कार्यक्रम में इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने एक कार्यक्रम एक पिक्टोग्राफ पेश किया था.
उन्होंने दुनिया भर को दिखाने के लिए ईरान के परमाणु बम की तस्वीर बनाई थी और लाल पेन से उसके शीर्ष पर एक रेखा खींच दी थी. स्पष्टतः ये बताने के लिए ईरान का यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम जिस दिशा में जा रहा है इसराइल उसे जाने नहीं देगा. बराक ओबामा तब अमेरिकी राष्ट्रपति थी और मामले को शांति से सुलझाने की पहल करने इसरायल पहुंचे थे.
ताइवान को लेकर क्या अमेरिका और चीन युद्ध की तरफ आगे बढ़ रहे हैं ?
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