प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पुरानी पाबंदियों को समाप्त करती है एवं विद्यार्थियों को अपनी पूरी क्षमता के उपयोग की अनुमति देती है तथा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीति विषयों के चयन और अध्यापन माध्यम में लचीली है। यह नीति उद्यमिता तथा स्वरोजगार, अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा स्कॉलरों को लाखों पत्र-पत्रिकाओं तक नि:शुल्क पहुंच प्रदान की गई है।
मोदी ने कहा कि इस वर्ष के बजट में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के माध्यम से अनुसंधान के लिए पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा नीति ने जेंडर इनक्लूजन फंड का प्रावधान है जिससे लड़कियों को नया विश्वास प्राप्त होगा।
उन्होंने कहा कि लड़कियों द्वारा बीच में पढ़ाई छोड़ने की अधिकता पर अध्ययन किया गया और प्रवेश-निकास विकल्प तथा डिग्री पाठ्यक्रमों में वार्षिक क्रेडिट के लिए प्रबंधन किए गए।
एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए बंगाल की प्रेरणा का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व भारती 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारतीय ज्ञान तथा पहचान को विश्व के कोने-कोने तक ले जाएगा।
मोदी ने इस प्रतिष्ठित संस्थान के विद्यार्थियों से कहा कि वे 2047 में विश्व भारती के 25 बड़े लक्ष्यों के बारे में अगले 25 वर्षों के लिए विजन दस्तावेज तैयार करें।
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से भारत के बारे में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने को कहा।
उन्होंने कहा कि विश्व भारती को भारत का संदेश विश्व में ले जाने और भारत की छवि बढ़ाने में सभी शिक्षण संस्थानों का नेतृत्व करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से आस-पड़ोस के गांव को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर उनके उत्पाद ले जाने के रास्ते तैयार करने को कहा।
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