वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी जो देश की आजादी के बाद सर्वाधिक है ।
व्यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र में तेजी से हो रही बेहतरी और उपभोग एवं निवेश में त्वरित वृद्धि की बदौलत ‘बी’ आकार में आर्थिक विकास होगा ।
निरंतर आने वाले डेटा जैसे कि बिजली की मांग, रेल माल भाड़ा, ई-वे बिलों, जीएसटी संग्रह और इस्पात के उपभोग में उल्लेखनीय वृद्धि के बल पर ‘बी’ आकार में आर्थिक प्रगति होगी ।
आईएमएफ के अनुसार, भारत अगले दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा ।
वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर (-) 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है ।
इस वर्ष कृषि वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत होगी, जबकि उद्योग वृद्धि दर (-) 9.6 प्रतिशत रहा ।
भारत में चालू खाता अधिशेष वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी का 2 प्रतिशत रहेगा, जो 17 वर्षों के बाद ऐतिहासिक उच्चतम स्तर है ।
देश में शुद्ध एफपीआई प्रवाह नवम्बर 2020 में 9.8 अरब डॉलर के सर्वकालिक मासिक उच्चतम स्तर पर रहा ।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश की जिसमें कहा गया है कि पिछले वर्ष के अपेक्षा से कम रहने वाले संबंधित आंकड़ों के साथ-साथ कोविड-19 के उपचार में कारगर टीकों का उपयोग शुरू कर देने से देश में आर्थिक गतिविधियों के निरंतर सामान्य होने की बदौलत ही आर्थिक विकास फिर से तेज रफ्तार पकड़ पाएगा।
देश के बुनियादी आर्थिक तत्व अब भी मजबूत हैं क्योंकि लॉकडाउन को क्रमिक रूप से हटाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत मिशन के जरिए दी जा रही आवश्यक सहायता के बल पर अर्थव्यवस्था बड़ी मजबूती के साथ बेहतरी के मार्ग पर अग्रसर हो गई है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘सौ साल में एक बार’भारी कहर ढाने वाले इस तरह के गंभीर संकट से निपटने के लिए भारत ने अत्यंत परिपक्वता दिखाते हुए जो विभिन्न नीतिगत कदम उठाए हैं उससे विभिन्न देशों को अनेक महत्वपूर्ण सबक मिले हैं जिससे वे अदूरदर्शी नीतियां बनाने से बच सकते हैं।
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